विद्या, शक्ति एवं धन का होना किसी भी महानता का सूचक नहीं है, बल्कि इनका उपयोग मनुष्य किस प्रकार करता है इससे उनकी महानता, लघुता ज्ञात होती है| जो व्यक्ति विद्या का उपयोग शिक्षा के प्रचार में, ज्ञान का उपयोग समाज को सही मार्ग प्रदर्शित करने में, शक्ति का प्रयोग दूसरों की रक्षा करने में तथा धन का उपयोग दान करने में करता है, वह समाज का सच्चा सेवक, महान व्यक्ति कहलाता है| आदरणीय बाबूजी श्रीमान स्व० सेठ रामप्रसाद खण्डेलवाल जी में यह सभी गुण विद्यमान थे| उनके जीवन ध्येय का तन, मन, धन से समाजसेवा, राष्ट्रसेवा करना ही था| आपका जन्म मध्यवर्गीय परिवार में भादो शुक्ल पूर्णिमा संवत 1949 ईस्वी सन् 1892 को श्री कृष्ण जन्म भूमि मथुरा में हुआ था| आपको 9 वर्ष की अवस्था में विद्यालय में प्रविष्ट कराया गया तथापि आप अपनी कुशाग्र बुद्धि से वर्ष में दो कक्षाएं पास करते थे और अंत में आपने ग्वालियर से हाईस्कूल उत्तीर्ण किया एवं पूरे ग्वालियर राज्य में सर्वप्रथम रहे| आप प्रथम बार सन् 1936 में व्यापार के कार्य से विदेश गए और वहां की प्रतिष्ठित फर्मों से संपर्क स्थापित किया| इस प्रकार आप राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय में सिद्ध हस्त हो गए| अपनी विवेकशीलता, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट लगन एवं कठोर परिश्रम से आपका व्यवसाय इतना बढ़ गया कि देश-विदेश में इनकी शाखाएं फैल गई| कई बार विदेश यात्रा की| आपने चतुर्मुखी प्रतिभा के कारण सभी प्रकार के व्यवसाय प्रारंभ कर दिए| खण्डेलवाल ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड, खण्डेलवाल लैबोरेट्रीज, एक्सपोर्ट इंपोर्ट, खण्डेलवाल माइनिंग, खण्डेलवाल इंडस्ट्रीज, खण्डेलवाल उद्योग, कामठी में खण्डेलवाल फेरोलाइट, खण्डेलवाल ट्यूब्स आदि विशाल औद्योगिक कारखाने आपकी कुशलता के प्रतीक है| आपने बुद्धि और परिश्रम से जिस प्रकार औद्योगिक क्षेत्र में ख्याति और प्रतिष्ठा प्राप्त की थी उसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में भी आपका स्थान महत्वपूर्ण था| आपकी समाज सेवा बहुमुखी और व्यापक है| समाज की कुरीतियों को दूर करने में आप सदैव प्रयत्नशील रहते थे| बाल-विवाह, दहेज प्रथा, चार-चार दिन की लंबी बरातें इन कुप्रथाओं का प्रति क्रांतिकारी कदम भी उठाए थे| आपको अखिल भारतीय वैश्य महासभा द्वारा सन् 1938 और सन् 1953 में अध्यक्ष पद से सुशोभित किया गया| अपने अखिल भारतीय खण्डेलवाल महासभा के माध्यम से निर्धन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति दिलवाने का कार्य आरंभ किया तथा उसमें स्वयं मुक्त हस्त से लाखों रुपयों का आर्थिक योगदान प्रतिवर्ष देते रहते थे| उनकी यह घोषणा थी कि कोई भी मेधावी छात्र एवं छात्रा धन अभाव के कारण अशिक्षित ना रहे| शिक्षा प्रसार के साथ-साथ आप महादानी थे| लाखों रुपया इस भवन निर्माण पर व्यय किया| जब कभी विद्यालय के लिए आर्थिक सहायता की आवश्यकता पड़ी, आपने तुरंत इसकी पूर्ति की| आपने रामप्रसाद खण्डेलवाल ट्रस्ट स्थापित किया था, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग ₹75000 की छात्रवृतियाँ, मरीजों को दवाइयां, गरीब कन्याओं के विवाह में आर्थिक सहायता दी जाती थी| इस ट्रस्ट द्वारा खण्डेलवाल जनसेवा औषधालय मुंबई में चल रहा है| देश भक्ति और राष्ट्र भावना आपके हृदय में पूर्णत: विद्यमान थी| सन् 1919 में स्वतंत्रता आंदोलन में खुले रूप से भाग लिया| सन् 1945 में आप नगर निगम के सदस्य चुने गए| सन् 1953 में भारत सरकार द्वारा जस्टिस ऑफ पीस ऑनरेरी मजिस्ट्रेट के पद से सम्मानित किए गए| आपको सन् 1966 में पद्मश्री की उपाधि प्रदान की|गीता, गाय, गोविंद के प्रति आप की अपार श्रद्धा थी| आपकी जीवनयात्रा एक आदर्श यात्रा है, उनका संपूर्ण जीवन प्रेरणा स्रोत है, जो हम सबको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है| इन के आदेशों पर चलना सच्ची श्रद्धांजलि है| उनको शत-शत नमन
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यह एक ऐसा हरा-भरा ज्ञानवृक्ष है जहां से बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करके आज अनेक ऊंचे पदों पर आसीन है|
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